भरोसा तोड़ने वाली शायरी
भरोसा एक संवेदनशील शब्द होता है जो हमारी ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा है। हम सभी जीवन में किसी न किसी से भरोसा करते हैं, चाहे वो हमारे माता-पिता हों, हमारे दोस्त हों या हमारे जीवनसाथी हों।
लेकिन कभी-कभी हमारा भरोसा तोड़ दिया जाता है और ये दर्दनाक अनुभव हमारे मन को असहज बना देते हैं। भरोसा तोड़ने वाली शायरी इन दुखद अनुभवों को व्यक्त करती है और हमें याद दिलाती है कि जीवन में सबकुछ समय से बढ़कर होता है। इस लेख में हम भरोसा तोड़ने वाली शायरी पर विस्तार से विचार करेंगे।
जुनूने शोक में ऐसा ऐ मेरे यार न कर हमारे शहर में शीशे का कारोबार न कर
जुनूने शोक में ऐसा ऐ मेरे यार न कर
ज़ुबैर
हमारे शहर में शीशे का कारोबार न कर
ज़रा सी लज़्जते दुनिया के वासते हमदम
सुकून व अम्न के दामन को तार-तार न कर
किया है अह्द अज़ल में खुदाये पाक से जो
वो अहद तोड़के खुदको गुनाहगार न कर
बदल ले वक़्त है तर्जे़ ह़यात को अपने
खुदा के कहर का ज़ालिम तू इंतिज़ार न कर
गुज़र गया है जो लमहा भी ज़िंदगानी का
अब उसका ऐ दिले मुज़्तर तू इंतिज़ार न कर
खुदा का ख़ौफ, मुहब्बत को माँ की सीने से
मिटा के ज़िंदगी अपनी ये खार-ज़ार न कर
नुज़ूल जिनपे हुआ ऐ ज़ुबैर अज़ाबे खुदा
किसी भी हाल में रह उनकी इख्तियार न कर

दिन है तो रात होगी,
बादल है तो बरसात होगी,
ऐ जान फिकर क्यूँ करते हैं,
ज़िन्दगी रहेगी तो मुलाक़ात होगी.
Dill kerta h ki tum se lipat kar tumko btaun,
Kitna dard hota h tum se dur rah ker jeene me.